लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनवाने की प्रक्रिया में आ रही बाधाओं को दूर करने का निर्देश दिया गया है। स्कूल शिक्षा महानिदेशालय ने राज्य के सभी बेसिक एवं माध्यमिक विद्यालयों को आदेश जारी कर कहा है कि यदि किसी छात्र के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है, तो उसके आधार कार्ड के आधार पर अपार आईडी जनरेट की जाए। यह कदम 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र 2025-26 से पहले सभी छात्रों के लिए आईडी निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता में छूट
ग्रामीण क्षेत्रों में कई छात्रों के पास जन्म प्रमाणपत्र न होने के कारण उनकी अपार आईडी बनाने में देरी हो रही थी, खासकर उन मामलों में जहाँ जन्म घर पर हुआ हो और कोई आधिकारिक दस्तावेज उपलब्ध न हो। नए निर्देशों के अनुसार, यदि किसी छात्र को स्कूल में प्रवेश संबंधित दस्तावेजों के आधार पर दिया गया है, तो अब आधार कार्ड से ही उसकी 12-अंकीय अपार आईडी बनाई जाएगी। हालाँकि, जिन छात्रों के पास जन्म प्रमाणपत्र है, उन्हें कोई समस्या नहीं होगी।
अपार आईडी का महत्व
यह आईडी छात्रों की शैक्षणिक प्रगति, खेलकूद उपलब्धियों, ओलंपियाड भागीदारी, और यहाँ तक कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से संग्रहित करेगी। इसमें छात्र का नाम, पता, अभिभावकों का विवरण, फोटो, मार्कशीट, स्कूल ट्रांसफर प्रमाणपत्र, और चरित्र प्रमाणपत्र जैसे विवरण शामिल होंगे।
प्रगति के आँकड़े
- 1.33 लाख परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले 1.54 करोड़ छात्रों में से अधिकांश की अपार आईडी बन चुकी है।
- 2,440 राजकीय माध्यमिक स्कूलों और 4,500 अशासकीय सहायताप्राप्त स्कूलों के 1.13 करोड़ छात्रों में से 87% के आईडी जनरेट हो चुके हैं।
- निजी स्कूलों में स्थिति चिंताजनक है, जहाँ केवल 65% छात्रों की ही आईडी बन पाई है।
शिक्षक संघ की प्रतिक्रिया
उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव के अनुसार, "जन्म प्रमाणपत्र की शर्त में छूट से अपार आईडी निर्माण की गति बढ़ेगी। यह निर्णय ग्रामीण परिवारों के लिए विशेष रूप से राहतभरा है।"
इस पहल का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक डेटा को पारदर्शी और सुगम्य बनाना है, जिससे भविष्य में शिक्षण संस्थानों और रोजगार के अवसरों में इन रिकॉर्ड्स का लाभ मिल सके।
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