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बीएड कॉलेजों के लिए NCTE का नया फैसला, नई शिक्षा नीति के तहत बड़ा बदलाव

बिहार समेत देश के सभी बीएड कॉलेजों में संसाधन केंद्र खोले जाएंगे। बीएड की निगरानी करने वाली संस्था एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्) ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव वर्ष 2025 से ही लागू किया जाना है।
संसाधन केंद्रों में शिक्षण सामग्री तैयार की जाएगी। यह संसाधन केंद्र दो वर्षीय और चार वर्षीय दोनों तरह के बीएड कॉलेजों में खोले जाएंगे। एनसीटीई का कहना है कि बीएड कॉलेजों में स्कूल में पढ़ाई जाने वाली शिक्षण सामग्री बीएड करने वाले छात्र ही शिक्षकों की मदद से तैयार करेंगे। इससे उनमें पढ़ाने और विषय संबंधित कौशल का विकास होगा। बीआरएबीयू के इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज साइंस प्रो.अरविंद कुमार का कहना है कि इस प्रस्ताव से बीएड के छात्रों में नवाचार विकसित होगा।



केंद्र में एजुकेशनल टॉयज का भी होगा निर्माण

संसाधन केंद्रों में एजुकेशन टॉयज का भी निर्माण किया जाएगा। एनसीटीई ने इसका भी निर्देश दिया है। संसाधन केंद्र में एजुकेशनल टॉयज के अलावा बीएड छात्रों से कई अन्य गतिविधियां भी कराई जाएंगी। बीएड के छात्रों को स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से कैसे संवाद करें, इसकी जानकारी दी जाएगी। एनसीटीई ने संसाधन केंद्र में ऑडियो-वीडियो उपकरण, टेलिविजन, प्रोजेक्टर अनिवार्य रूप से रखने को कहा है। इसके अलावा केंद्र में कंप्यूटर लैब की भी स्थापना की जाएगी।







बीएड कॉलेजों की लाइब्रेरी में रखनी होंगी चार हजार किताबें

बीएड कॉलेजों को अब अपनी लाइब्रेरी में चार हजार से अधिक किताबें रखनी होंगी। इससे कम किताबें होने पर कॉलेज पर कार्रवाई हो सकती है। एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्) ने देश भर के बीएड कॉलेजों को यह निर्देश दिया है। लाइब्रेरी में एनसीईआरटी, एनसीटीई और अन्य विधाओं की किताबें भी रखनी होंगी। इसके अलावा एजुकेशन कमिशन की सारी रिपोर्ट भी रखने का निर्देश एनसीटीई ने दिया है। एनसीटीई ने निर्देश दिया कि बीएड कॉलेजों की लाइब्रेरी में हर साल कम से कम 100 नई गुण्वत्ता युक्त किताबें खरीद कर रखी जाएं।







नई शिक्षा नीति के तहत खोले जा रहे हैं संसाधन केंद्र

एनसीटीई का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए जा रहे हैं। इसी के तहत बीएड कॉलेजों में संसाधन केंद्र खोलने का प्रस्ताव है। संसाधन केंद्र में शिक्षण सामग्री तैयार करने से छात्रों को पता चलेगा कि स्कूल में बच्चों को किस तरह से पढ़ाया जाए, ताकि उन्हें पढ़ाई बोझ नहीं लगे।

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