पेंशनभोगी पाई-पाई के हुए मोहताज
तेरे कल-कल के वादे ने कितने कल खराब कर दिए, जाने कौन सा कल आएगा, कितने कल गुजरने के बाद ... यह पंक्तियां इंप्लाई पेंशन स्कीम (ईपीएस) 1995 पेंशन भोगियों पर सटीक बैठती हैं। सरकार के वादे पर सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के उपक्रम व सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों ने यकीन किया और ईपीएस-95 पेंशन स्कीम में शामिल हुए। 30 से 35 वर्ष तक अपने विभागों में ईमानदारी से सेवाएं दीं । ईपीएस में लगातार अंशदान दिया लेकिन रिटायरमेंट बाद मसिक पेंशन के रूप में उनके हाथ लगे 800, 1200, से 3000 हजार रुपए। पूरी जवानी खपाने के बाद सामाजिक सुरक्षा के नाम पर पब्लिक सेक्टर, निगमों, सहकारिता, निजी क्षेत्र से रिटायर कर्मचारियों को मिली इस राशि से परिवार का खर्च चलाना तो दूर की बात है, उन्हें खुद का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया। रिटायर कर्मचारी इसे सरकारी धोखा करार देते हैं। वहीं उम्र के इस पड़ाव पर अब न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग को लेकर वर्षों से आंदोलनरत हैं।
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