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दिन-रात की अलग-अलग बिजली दरें अभी नहीं

प्रदेश में अभी दिन और रात की बिजली दरें अलग-अलग नहीं होंगी। गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग ने बहुवर्षीय टैरिफ वितरण नियमन-2025 को मंजूरी देते हुए यह प्रस्ताव हटा दिया है। नियमन प्रदेश सरकार के पास अधिसूचना जारी करने के लिए भेज दिया गया है। यह एक अप्रैल 2025 से लागू होगा जो 31 मार्च 2029 तक प्रभावी रहेगा।

भविष्य में निजीकरण के प्रस्ताव को भी मंजूरी नहीं: इसी के साथ नियमन में भविष्य के निजीकरण का भी प्रस्ताव था, जिसे आयोग ने मंजूरी नहीं दी है। हालांकि, इससे पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण की मौजूदा प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा बिजली दरों की गणना के तरीकों में बदलाव से भविष्य में बिजली दरें बढ़ने का रास्ता खोल दिया गया है। बिजली दरों पर इससे फौरी असर नहीं पड़ेगा। नियमन के प्रस्तावों पर नियामक आयोग ने 19 फरवरी को जनसुनवाई की थी। गुरुवार को जब नियमन को मंजूरी दी गई तो उसमें भविष्य के निजीकरण और दिन-रात का टैरिफ अलग किए जाने के बिंदुओं को शामिल नहीं किया गया है। आयोग ने दिन-रात के अलग टैरिफ पर पावर कॉरपोरेशन का प्रस्ताव आने के बाद विचार करने का विकल्प रखा है। हालांकि, पावर कॉरपोरेशन नियामक आयोग में यूपीएसएलडीसी की सुनवाई के दौरान पहले ही कह चुका है कि साल 2027 -28 तक उसके लिए रात और दिन का टैरिफ अलग-अलग कर पाना मुश्किल होगा।

मनमाने दाम पर नहीं खरीदी जा सकेगी बिजली: नियामक आयोग ने साल 2029 तक के लिए मंजूर किए गए कानून में पहले से अनुमन्य दरों पर ही बिजली खरीद की व्यवस्था रखी है। इससे मनमानी दरों पर बिजली खरीद पर प्रतिबंध लगना तय है। आयोग ने रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम की ट्रेजेक्ट्री लाइन हानियों को बिजली दर के आदेश में अनुमोदित किया था। इसे नियमन में भी जगह दी गई है। प्रशासकीय व सामान्य खर्च के लिए प्रदर्शन के मानक के मुताबिक मुआवजा कानून भी लागू करने के लिए जो खर्च होगा, उसका पूरा ब्योरा बिजली कंपनियों को देना होगा।

खुला बिजली दरों में बढ़ोतरी का रास्ता

नियमन में नियामक आयोग ने बिजली दरें तय करने के लिए वास्तविक खर्च को आधार बना दिया है। इससे भविष्य में बिजली दरें बढ़ने का रास्ता खुल गया है। दरअसल, इसके पहले तक ट्रूअप खर्च पर बिजली दरें तय की जाती थीं। ट्रूअप खर्च में ऑडिटेड आंकड़े इस्तेमाल किए जाते थे। आरोप हैं कि बिजली कंपनियां वास्तविक आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती हैं, जिसकी वजह से बिजली दरें बढ़ने का रास्ता खुल जाएगा। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नियमन में यह प्रस्ताव मंजूर होने का फौरी असर नहीं होगा क्योंकि अभी बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये बकाया है। इसी वजह से पिछले पांच साल से प्रदेश में बिजली दरें नहीं बढ़ी हैं। अब नए तरह से आकलन करने पर बिजली कंपनियों का खर्च ज्यादा आएगा तो पहले उपभोक्ताओं के सरप्लस की राशि कम होगी और एक समय के बाद बिजली दरें बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले पर उपभोक्ता परिषद संघर्ष के लिए तैयार है।

दो साल तक नहीं भेजेंगे अलग दरों का प्रस्ताव

कॉरपोरेशन ने तब कहा था कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद उसे कम से कम दो साल का वक्त आंकड़े इकह्वा करने के लिए चाहिए। ऐसे में यह माना जा सकता है कि कम से कम दो साल तक बिजली कंपनियां रात और दिन का टैरिफ अलग-अलग करने का कोई प्रस्ताव नहीं भेजेंगी। केंद्र सरकार ने पहले ही नियम बनाकर पूरे देश में एक अप्रैल 2025 से रात दिन का टैरिफ लागू करने की व्यवस्था का रास्ता खोल दिया है।

उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध किया था और इसे नुकसानदेह बताया था।

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