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सुप्रीम कोर्ट सुनवाई अपडेट (पदोन्नति प्रकरण) ✍️ राघवेन्द्र पाण्डेय

*#सुप्रीम कोर्ट सुनवाई अपडेट (पदोन्नति प्रकरण)*




✍️ राघवेन्द्र पाण्डेय

*आप सभी वरिष्ठ गुरूजनों को सादर जय सीताराम 👏👏*

*आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट के ही एक ऐसे ऑर्डर पर चर्चा हुई जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि बिना न्यूनतम योग्यता के सर्विस में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है, पर माननीय न्यायमूर्ति ने उस जजमेंट की डिटेल जानने के बाद कहा कि इसमें सेक्शन 23 में दी गई छूट को नजरअंदाज किया गया है, RTE ऐक्ट लागू होने के पूर्व जो शिक्षक नियुक्त हैं, उनको TET उत्तीर्ण न होने पर नौकरी से बाहर करना न्यायोचित नहीं होगा,इस मुद्दे पर कोर्ट का रुख स्पष्ट है कि या तो सेक्शन 23 की छूट को मद्देनजर रखते हुए RTE ऐक्ट लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षको को TET से राहत देने का निर्णय करेगी, या मामला लार्जर बेंच में ट्रांसफर होगा,कोर्ट के रुख से आज यह तो तय हो गया कि RTE ऐक्ट से पूर्व नियुक्त शिक्षको को TET की वज़ह से नौकरी पर कोई संकट नहीं है*

*आज की बहस में न्यायमूर्ति मनमोहन जी ने अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया से कहा कि आप सरकार चलाते हैं, आप अपने argument में स्पष्ट करें कि RTE ऐक्ट लागू होने (29 -07-2011)के पूर्व नियुक्त शिक्षको को TET से छूट किन तरीकों से दी जाय?और अटॉर्नी जनरल ये भी स्पष्ट करें कि इन शिक्षकों को प्रमोशन में इन्हें कहाँ तक न्यूनतम योग्यता में छूट दी जा सकती है?*

*अगली डेट अगले बृहस्पतिवार की होगी*

*आप सब निश्चिंत रहें, और अगली डेट की तैयारी हेतु अपना नैतिक दायित्व का निर्वहन करें, टीम राघवेन्द्र आपके साथ है, धारा के विरुद्ध जाकर आपके हित को संरक्षित करने को कृत संकल्पित है, बाकी राजा राम सरकार की इच्छा 👏👏*

✍️ राघवेन्द्र पाण्डेय


Pramati Case (2014) में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अनुच्छेद 21A के तहत सभी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम योग्यता (Minimum Qualifications) आवश्यक है।




हालांकि, इस मामले का मुख्य मुद्दा यह था कि क्या RTE अधिनियम अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू होता है या नहीं। कोर्ट ने निर्णय दिया था कि:




1. पूर्णतः अल्पसंख्यक और गैर-सहायता प्राप्त (Unaided) संस्थान RTE अधिनियम के दायरे से बाहर होंगे।







2. सहायता प्राप्त (Aided) अल्पसंख्यक संस्थानों पर RTE अधिनियम लागू होगा, लेकिन इसमें कुछ हद तक स्वायत्तता दी जा सकती है।










लेकिन शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता के सवाल पर कोर्ट ने यह जरूर कहा था कि यह शैक्षणिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, और इसे सभी स्कूलों में लागू किया जाना चाहिए।




अगर वर्तमान मामले में सरकार यह तर्क देती है कि Pramati Judgment पहले ही न्यूनतम योग्यता को अनिवार्य बता चुकी है, तो यह उन शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो NCTE मानकों से पहले नियुक्त हुए थे और छूट की मांग कर रहे हैं।

मगर मेरी नजर में Pramiti case में RTE एक्ट सेक्शन 23(1) और 23(2) पर बहस नहीं हुई थी। इसलिए कोर्ट और सरकार कोई नहीं चाहेगी कि PRE RTE शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए टीईटी देना पड़े। जबकि यदि केस हावी हुआ तो मामला लार्जर बेंच भेजना पड़ेगा। मगर मैं लार्जर बेंच भेजने का पक्ष नहीं लूंगा।

मामला शीघ्र डिसाइड हो यही मेरा पक्ष है।




राहुल पांडे अविचल

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