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स्पेशल बच्चों के लिए शिक्षकों के पदों पर तुरंत शुरू करें भर्ती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे स्पेशल चिल्ड्रेन के लिए स्वीकृत टीचर्स के पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी करे और तुरंत सेलेक्शन प्रक्रिया शुरू करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि विभिन्न राज्यों में कार्यरत अस्थायी (Ad-hoc) शिक्षकों को उनकी योग्यता के आधार पर नियमित किया जाए।



जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्पेशल छात्रों के लिए शिक्षकों की कमी पर प्रकाश डाला गया था। शीर्ष अदालत ने पाया कि अक्टूबर 2021 के राजनीश कुमार पांडे बनाम भारत सरकार के फैसले के बावजूद, अधिकांश राज्यों ने अब तक विशेष शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की है। कई राज्यों ने अब तक आवश्यक शिक्षकों की स्वीकृत संख्या की पहचान तक नहीं की है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर राज्य तीन सप्ताह के भीतर स्वीकृत पदों की अधिसूचना जारी करे। इन पदों को दो प्रमुख समाचार पत्रों में और शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। योग्य शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक चयन एवं नियुक्ति समिति का गठन किया जाए।

20 साल से कॉन्ट्रैक्ट पर है टीचर : सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि कई राज्यों में अस्थायी शिक्षकों को पिछले 20 साल से कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है। राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे तत्काल एक तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग समिति का गठन करें, जिसमें राज्य विकलांगता आयुक्त, राज्य शिक्षा विभाग के सचिव और पुनर्वास परिषद (RCI) का एक नामांकित विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस समिति का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि जो शिक्षक योग्य हैं, उन्हें विशेष शिक्षक के वेतनमान पर नियमित किया जाए। यदि कोई शिक्षक वर्षों से कार्यरत है, तो आयु सीमा में छूट देने पर भी विचार किया जाएगा। सभी निर्देश 12 सप्ताह के भीतर लागू किए जाने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के बाद ही वेतनमान मिलेगा.

जिन राज्यों में पहले से स्वीकृत पद है, वहां तत्काल चयन प्रक्रिया शुरू की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगे की सुनवाई वह 15 जुलाई को करेगा.




यूपी में सबसे ज्यादा स्पेशल चिल्ड्रेन

सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल चिल्ड्रेन का राज्यवार ब्योरा भी पेश किया गया। यूपी में ऐसे बच्चों की संख्या 301718, पश्चिम बंगाल में 135796 और केरल में 120764 है। वहीं दिल्ली में 32398 ऐसे बच्चे है जो स्पेशल चिल्ड्रेन है।


स्पेशल बच्चों के लिए अहम कदम

यह फैसला विशेष जरूरतों वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त समय सीमा तय की है कि विशेष शिक्षक जल्द से जल्द नियुक्त किए जाएं और अस्थायी शिक्षकों को न्यायोचित वेतनमान और स्थायित्व मिले। यह फैसला ऐसे बच्चों को मुख्य धारा में लाने में मदद करेगा।

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