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रिटर्न में आय कम दिखाई, खर्चों ने खोली पोल: आयकर विभाग ने बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे मामलों को पकड़ा

आयकर रिटर्न के दौरान आमदनी दिखाने में हेराफेरी हो रही है। खर्चों की तुलना में आमदनी को काफी कम दिखाया जा रहा है। आयकर विभाग ने बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे मामलों को पकड़ा है, जिसमें आमदनी की तुलना में खर्च दो से तीन गुना तक पाए गए।




विभाग ने आयकरदाता के वाहन पर लगे फास्टैग से यात्रा, यूपीआई से लेनदेन और पासपोर्ट के जरिए विदेश यात्रा तक की जानकारी जुटाई। उसके बाद रिटर्न दाखिल करने वाले आयकरदाता और उसके परिवार के सदस्यों का सालाना खर्च जोड़ा गया तो पूरा मामला पकड़ में आया। आयकर विभाग ऐसी संदिग्ध आयकर रिटर्न की जांच कर रहा है, जिनमें आमदनी को सीमित करके दिखाया गया।


ऐसे मामलों में कर चोरी को पकड़ने के लिए विभाग ने एक मैन्युअल तैयार किया, जिसमें तय किया गया कि आयकरदाता के स्वयं और परिवारों के सालाना खर्च को खंगाला जाए। पहले चरण की जांच में पता चला कि खर्च आमदनी से करीब तीन गुना तक है।


इतना ही नहीं, लोग घरेलू खर्च में भी हेराफेरी कर रहे हैं। घर आयकरदाता या परिवार के किसी सदस्य के नाम पर है लेकिन उसका आवास कर, मैंटेनेंस और रसोई गैस तक का बिल अपने कर्मचारी या अन्य व्यक्ति के नाम पर चालू किए गए बैंक खाते व यूपीआई से चुकाया जा रहा है। ऐसे करदाता संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।


ऐसे पकड़े गए फर्जीवाड़ा करने वाले मामले


एक कारोबारी द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में आमदनी 10 लाख रुपये से कम दिखाई गई। विभाग ने परिवार के सदस्यों और उनके बैंक खातों और यूपीआई लेनदेन की जानकारी जुटाई। जांच में पता चला कि परिवार में पांच सदस्य हैं, जिनमें से कमाने वाला एक है। सभी के यूपीआई से करीब आठ लाख रुपया खर्च हुआ। दो बच्चों की पढ़ाई पर वर्ष में चार से पांच लाख खर्च किया गया लेकिन उसका करीब 20 फीसदी हिस्सा ही खाते से दिखाया गया। फास्टैग से पता चला कि उनके दोनों वाहन एक वर्ष में करीब 70 हजार किलोमीटर चले, जिनका ईंधन खर्च ही साढ़े चार से पांच लाख रुपये का हुआ। लेकिन उसे खाते से नहीं दिखाया गया।

कुछ मामलों में देखा गया कि ये लोग घरेलू खर्चों के लिए अपने कर्मचारियों व नौकरों की यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। आयकरदाताओं से बीते तीन वर्षों में घर के गैस कनेक्शन का भुगतान बिल, इंटरनेंट खर्च, घर का मैंटेनेंस भुगतान रसीद मांगी गई तो पता चलता कि भुगतान परिवार के सदस्य के यूपीआई आईडी एवं बैंक खाते से नहीं किया गया।

पकड़ना हुआ आसान

1. एक वर्ष में वाहन कितने किलोमीटर चला, कहां यात्रा की और उस यात्रा का औसत खर्च फास्टैग से निकालना अब आसान हुआ।

2. यूपीआई से कई मामलों में नियमित खर्चों का लिंक पकड़ा गया, लेकिन यूपीआई से सिर्फ एक बार खर्च दिखाया गया।

3. एक मामले में यूपीआई के जरिए कोचिंग की एक महीने की फीस भरी लेकिन बाद में उसका भुगतान नकद में किया गया।

4. यात्रा पर गए लेकिन खर्च नहीं दिखाया। फास्टैग से जानकारी मिली कि वह परिवार के साथ यात्रा पर थे लेकिन होटल का बिल, खाने-पीने और शॉपिंग का खर्च नकद में किया गया।

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