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आयकर विभाग का नया अभियान: ज्यादा आय और कम खर्च वालों पर नजर

आयकर विभाग (Income Tax Department) ने हाल ही में देश में कर चोरी रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत उन लोगों पर सख्त नजर रखी जा रही है, जिनकी आय तो अधिक है, लेकिन खर्चे बेहद कम दिखाए जा रहे हैं। विभाग ने ऐसे करदाताओं को नोटिस जारी कर उनके खर्चों का विस्तृत ब्योरा मांगा है। यह कदम सरकार द्वारा डेटा एनालिटिक्स के जरिए कर अपवंचन पर नकेल कसने की रणनीति का हिस्सा है।



क्यों हो रही है नोटिस की कार्रवाई?

आयकर विभाग की मानें तो, कुछ लोग अपनी वास्तविक आय से कहीं अधिक भव्य जीवनशैली जी रहे हैं, लेकिन उनके बैंक खातों से निकाले गए पैसों और घोषित आय में बड़ा अंतर है। इससे संदेह पैदा होता है कि ये लोग किसी अनघोषित स्रोत से आय प्राप्त कर रहे हैं या नकद लेनदेन छिपा रहे हैं। विभाग ने ऐसे मामलों में खर्चों की गहन जांच शुरू की है।

किन खर्चों की मांगी जा रही है जानकारी?

नोटिस प्राप्त करने वाले करदाताओं से उनके दैनिक जीवन के छोटे-बड़े सभी खर्चों का ब्योरा देना अनिवार्य किया गया है। इसमें किराने का सामान, कपड़े, जूते, बाल कटवाने, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, शिक्षा, रेस्तरां में भोजन और यहां तक कि घरेलू गैस व खाना पकाने के तेल पर होने वाले खर्च शामिल हैं। साथ ही, परिवार के सभी सदस्यों की वार्षिक आय, पैन नंबर और बैंक लेनदेन की जानकारी भी साझा करने को कहा गया है।

बैंक लेनदेन पर उठे सवाल

आयकर विभाग ने कुछ मामलों में बैंक खातों से न्यूनतम रकम निकालने वालों पर भी सवाल उठाए हैं। विभाग का तर्क है कि यदि कोई व्यक्ति महंगी गाड़ियों, घरों और शॉपिंग पर पैसा खर्च करता है, लेकिन उसके खाते से नकद निकासी नहीं के बराबर है, तो यह संभावित कर चोरी का संकेत हो सकता है। ऐसे में, करदाताओं से यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि वे अपने खर्चों को किन स्रोतों से पूरा कर रहे हैं।

"एक करोड़ रुपये निकालने" वाली धारणा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि नोटिस प्राप्त करने वाले परिवार अपने सदस्यों की आय और खर्च का ब्योरा नहीं देते हैं, तो माना जाएगा कि उन्होंने संबंधित वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रुपये नकद निकाले हैं। हालांकि, विभाग ने जोर देकर कहा कि यह कार्रवाई चुनिंदा मामलों तक ही सीमित है।

क्या यह सामान्य नोटिस है?

आयकर विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, ये नोटिस रूटिन चेकअप का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि विशेष रूप से उन्हीं लोगों को भेजे गए हैं, जिनकी आय और जीवनशैली में स्पष्ट विसंगति देखी गई है। इनमें वे अमीर करदाता शामिल हैं, जो विलासितापूर्ण जीवन जीने के बावजूद अपने टैक्स रिटर्न में कम खर्च दिखाते हैं।

सरकार की डेटा एनालिटिक्स तकनीक अब कर चोरी की पहचान में अहम भूमिका निभा रही है। इसके तहत न केवल विदेशी आय, बल्कि घरेलू नकद लेनदेन पर भी नजर रखी जा रही है। ऐसे में, करदाताओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपनी आय और खर्चों का सही ब्योरा दर्ज कराएं, ताकि भविष्य में कानूनी कार्रवाई से बच सकें।

नोट: यह जानकारी आयकर विभाग की ओर से जारी नोटिस और सार्वजनिक सूत्रों पर आधारित है। किसी भी कानूनी सलाह के लिए कर विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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