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आठ साल में डिजिटल लेनदेन आठ गुना हुआ, यूपी देश में नंबर वन

लखनऊ। प्रदेश ने सीएम योगी

आदित्यनाथ के नेतृत्व में डिजिटल क्रांति और आर्थिक प्रगति के क्षेत्र में नया कीर्तिमान बनाया है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से लेकर डिजिटल लेनदेन और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है।

नीति आयोग ने जहां यूपी को फ्रंट रनर का दर्जा दिया है, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024-25 में राज्य की कर हिस्सेदारी 11.6 प्रतिशत रही जो महाराष्ट्र के बाद देश में सर्वाधिक है।

पिछले आठ वर्ष में प्रदेश में डिजिटल ट्रांजेक्शन आठ गुना से ज्यादा हो गया है। प्रदेश ने डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में देश में पहला स्थान हासिल किया है। वहीं,

जीएसडीपी में दोगुने से ज्यादा वृद्धि हुई है। प्रदेश में 2017-18 में 122.84 करोड़ के डिजिटल लेनदेन हुए थे। दिसंबर 2024 तक यह आंकड़ा 1024.41 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का भी योगदान रहा। डिजिटल बैंकिंग की आसान पहुंच, गांवों तक इंटरनेट की उपलब्धता और वित्तीय जागरूकता ने इस प्रगति को और निखारा।

डीबीटी से बढ़ी पारदर्शिता

डीबीटी से राज्य सरकार ने 11 विभागों की 207 योजनाओं के तहत 9.08 करोड़ से अधिक लोगों के खातों में 111637 करोड़ का भुगतान किया है। इसमें 113 केंद्रीय और 94 राज्य योजनाएं शामिल हैं। इस प्रणाली से पारदर्शिता बढ़ी है और पूर्व की व्यवस्था में विभिन्न चैनलों के माध्यम से रकम पहुंचाने में दिए जाने वाले कमीशन के तौर पर 10 हजार करोड़ की बचत भी हुई है।

इस तरह बढ़ी जीएसडीपी

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1950 से 2017 तक यूपी की जीएसडीपी महज 12.75 लाख करोड़ तक पहुंची थी, लेकिन बीते आठ वर्षों में यह आंकड़ा दोगुने से अधिक होकर 2024-25 में 27.51 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। जीडीपी में 9.2% हिस्सेदारी के साथ यूपी अब देश का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक योगदानकर्ता बन गया है। 2023-24 में जहां देश की जीडीपी वृद्धि दर 9.6% रही, वहीं यूपी की 11.6% रही।

नीति आयोग ने बताया फ्रंट रनर

नीति आयोग की रिपोर्ट में यूपी को राजकोषीय स्थिति के मामले में फ्रंट रनर बताया गया है। पूंजीगत व्यय में भी सुधार हुआ है, जो कुल व्यय का 14.8% से बढ़कर 19.3% हो गया। यह देश के प्रमुख राज्यों के औसत से अधिक है। आरबीआई की 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की स्वयं के कर से प्राप्ति का अनुपात 10% रहा, जो राष्ट्रीय औसत 7.2% से अधिक है। यह राज्य की आर्थिक नीतियों की मजबूती को दर्शाता है।

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