लखनऊ। प्रदेश के शिक्षक-कर्मचारियों ने वेतन विसंगति, सेवा नियमावली, खाली पदों पर नियुक्ति व पदोन्नति नहीं होने पर नाराजगी जताई है। कर्मचारियों ने कहा है कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हालत और खराब है। महंगाई से सभी त्रस्त हैं। इन मुद्दों पर जल्द सकारात्मक निर्णय न हुआ तो कर्मचारी आंदोलन को बाध्य होंगे। यह सहमति शुक्रवार को कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा की नगर निगम मुख्यालय में हुई बैठक में बनी।
बैठक में मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने इस बात पर नाराजगी जताई कि मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी कर्मचारी संगठनों की मांगों पर अधिकारी वार्ता नहीं कर रहे हैं। संगठनों के अध्यक्ष और महामंत्री के सचिवालय प्रवेश पत्र भी जारी नहीं हो रहे हैं। जिससे वह संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव खुद बैठक बुलाते नहीं हैं। मोर्चा के महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि सर्वसम्मत से निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को आंदोलन की नोटिस भेजकर आग्रह किया गया कि वह खुद बैठक करके निर्णय लें। यदि 15 दिन में मोर्चा की मांगों पर सार्थक निर्णय नहीं किया गया तो दोबारा बैठक करके आंदोलन की घोषणा की जाएगी। बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के महामंत्री कैसर राजा, राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष * मनोज मिश्रा आदि उपस्थित थे।
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