नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और त्रि-भाषा नीति को लेकर विवाद और गरमा गया है। इस मुद्दे पर डीएमके के विरोध को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ‘पाखंड’ बताए जाने के एक दिन बाद दिल्ली से लेकर तमिलनाडु तक आरोप-प्रत्यारोप को दौरा जारी रहा। सीतरमण की तरह ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस मुद्दे को लेकर डीएमके पर निशाना साध चुके हैं। कहा
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं।
इस बीच चेन्नई में स्टालिन ने बुधवार को एनईपी को भगवा नीति करार दिया। कहा कि इसका उद्देश्य राष्ट्र का विकास करना नहीं बल्कि हिंदी का विकास करना है। इसी तरह राज्य के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पलानीवेल थियागा ने कहा कि त्रि-भाषा नीति पूर्ण रूप से विफल मॉडल है और इसे तमिलनाडु की द्वि-भाषा नीति के सफल मॉडल की जगह क्यों लेनी चाहिए? इस भाषा विवाद पर डीएमके को कांग्रेस का साथ मिला है। पार्टी के सांसद के. सुरेश ने कहा कि सरकार का असली इरादा पूरी शिक्षा प्रणाली का भगवाकरण करना है।
तीन-भाषा फॉर्मूला क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 में त्रि-भाषा फॉर्मूला सुझाव देता है कि छात्रों को तीन भाषाएं सीखनी चाहिए।
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