संतकबीरनगर। परिषदीय स्कूलों में शिक्षा के साथ ही नौनिहालों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर भी शासन गंभीर हो गया है। इसके लिए सभी स्कूलों में प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। दवा और प्राथमिक उपचार से संबंधित किट स्कूलों में रखा जाएगा। किसी जरूरत पर बच्चों को प्राथमिक उपचार स्कूल में ही होगा। इसके लिए विद्यालय के एक शिक्षक को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो नौनिहालों को प्राथमिक उपचार करेगा।
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के 1247 परिषदीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक व कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। इनमें कुल 1.07 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। बच्चों को बेहतर शिक्षा हासिल हो इसके लिए तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं। यहां तक कि बच्चों के यूनिफार्म, जूता मोजा, स्वेटर व स्कूल बैग तक के लिए डीबीटी के जरिए 12 सौ रुपये की धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजी जाती है।
अक्सर स्कूल परिसर में खेलते समय गिर जाने आदि के चलते बच्चे घायल हो जाते हैं या फिर अचानक बीमार पड़ जाते हैं। इस स्थिति में बच्चों को स्कूल स्तर पर प्राथमिक उपचार की सुविधा नहीं मिल पाती। जबकि अभिभावक को जानकारी देने से लेकर अस्पताल तक ले जाने में काफी समय लग जाता है। इसे देखते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर स्कूलों में स्वास्थ्य किट रखवाने का निर्देश जारी किया है।
स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक माहौल व गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के साथ बच्चों की सुरक्षा व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखने को कहा गया है। बच्चों के उपचार के लिए एक शिक्षक को स्वास्थ्य संबंधी सामान्य जानकारी व प्राथमिक चिकित्सा के जरिए राहत देने के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है।
कोट
स्कूलों में बच्चों को त्वरित उपचार मिल सके इसके लिए पहल की गई है। नए शिक्षा सत्र से विद्यालयों में यह व्यवस्था प्रभावी कर दी जाएगी।
-अमित कुमार सिंह, बीएसए
संतकबीरनगर जिले के परिषदीय स्कूलों में अब बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सुरक्षा भी मिलेगी। सरकार ने सभी स्कूलों में प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था करने का फैसला किया है। इसके तहत स्कूलों में दवा और प्राथमिक उपचार किट रखी जाएगी। जरूरत पड़ने पर बच्चों को स्कूल में ही प्राथमिक उपचार मिलेगा।
इस कार्य के लिए स्कूल के एक शिक्षक को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह शिक्षक बच्चों को प्राथमिक उपचार देगा। जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के 1247 परिषदीय प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय हैं। इनमें कुल 1.07 लाख बच्चे पढ़ते हैं।
बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। बच्चों को यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, स्वेटर और स्कूल बैग के लिए भी डीबीटी के जरिए 1200 रुपये की राशि उनके अभिभावकों के खाते में भेजी जाती है।
अक्सर खेलते समय बच्चे स्कूल परिसर में गिर जाते हैं या अचानक बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में उन्हें स्कूल स्तर पर प्राथमिक उपचार की सुविधा नहीं मिल पाती है। अभिभावकों को सूचना देने और अस्पताल ले जाने में भी काफी समय लग जाता है। इसे देखते हुए स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने स्कूलों में स्वास्थ्य किट रखने का निर्देश दिया है।
स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक माहौल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देने को कहा गया है। बच्चों के इलाज के लिए एक शिक्षक को स्वास्थ्य संबंधी सामान्य जानकारी और प्राथमिक चिकित्सा के जरिए राहत देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
"स्कूलों में बच्चों को तत्काल उपचार मिल सके, इसके लिए पहल की गई है। नए शैक्षणिक सत्र से विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।" - अमित कुमार सिंह, बीएसए
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