यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 12 मार्च को समाप्त हो जाएंगी। बोर्ड ने होली बाद उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन की तैयारी शुरू कर दी है। इस बार बोर्ड मूल्यांकन कार्य में लगे प्रत्येक शिक्षक की हर दिन जांची गई कॉपी पर नजर रखेगा। 250 केंद्रों पर नियुक्त होने वाले तकरीबन डेढ़ लाख शिक्षकों की सूचना ऑनलाइन मांगी जाएगी कि प्रत्येक शिक्षक ने उस दिन कितनी कॉपी जांची है। इसका मुख्य उद्देश्य कॉपियों का गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन सुनिश्चित करना है।
हर साल सबसे अधिक गड़बड़ियां मूल्यांकन में ही सामने आती हैं। शिक्षकों की लापरवाही के कारण कम अंक पाने वाले मेधावी परीक्षार्थियों को हाईकोर्ट तक में मुकदमा करना पड़ता है जिसके चलते बोर्ड की भी फजीहत होती है। इससे बचने के लिए प्रत्येक दिन शिक्षक द्वारा जांची गई कॉपी की संख्या मंगाई जाएगी ताकि यह पता चल सके कि मानक के अनुसार कॉपियां जांची जा रही है या नहीं। नियमत हाईस्कूल और इंटर के परीक्षक एक दिन में अधिकतम क्रमश 50 और 45 कॉपियां ही जांच सकते हैं।
हालांकि मूल्यांकन केंद्रों पर इस नियम का पालन नहीं हो पाता। वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षक अधिक रुपयों के लिए एक दिन में मानक से दो-तीन गुना कॉपियां जांच लेते हैं। समय से कॉपियां जांचने के दबाव में मूल्यांकन केंद्रों के प्रभारी भी खास सख्ती नहीं करते लेकिन इस प्रवृत्ति के कारण अंतत परीक्षार्थी का नुकसान होता है। बोर्ड सचिव भगवती सिंह का कहना है कि प्रत्येक दिन परीक्षक की जांच गई कॉपियों की संख्या ऑनलाइन मंगाई जाएगी ताकि किसी प्रकार की लापरवाही न होने पाए। गौरतलब है कि हाईस्कूल और इंटर की प्रत्येक जांचने के लिए क्रमश 14 और 15 रुपये मिलेंगे।
हेल्पडेस्क पर 33 दिन में 900 छात्रों ने किया संपर्क
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में सम्मिलित हो रहे परीक्षार्थियों के लिए गठित हेल्पडेस्क पर फरवरी से पांच मार्च तक 33 दिन में लगभग 900 कॉल्स प्राप्त हुई हैं। सचिव भगवती सिंह ने बताया कि सभी समस्याओं का तत्परता पूर्वक निदान किया गया है। प्रतापगढ़ में कक्षा 12 के छात्र के प्रवेश पत्र पर गणित की जगह जीवविज्ञान हो गया था। समय रहते समय संशोधित किया गया। 12वीं के ही मथुरा के छात्र को फीस जमा न होने के कारण स्कूल से प्रवेश पत्र नहीं मिल रहा था। प्रवेश पत्र जारी करवाया।
12वीं के छात्र को नहीं दे रहे थे प्रवेश पत्र
प्रयागराज के 12वीं के छात्र को भी प्रधानाचार्य प्रवेश पत्र नहीं दे रहे थे। हेल्पडेस्क से प्रधानाचार्य से वार्ता कर विद्यार्थी को प्रवेश पत्र उपलब्ध कराया गया। देवरिया के 10वीं के छात्र के प्रवेश पत्र पर फोटो नहीं थी। प्रधानाचार्य ने समय से संशोधन कर विद्यार्थी को उपलब्ध कराया। रायबरेली के 10वीं की छात्रा के प्रवेश पत्र पर गृहविज्ञान की जगह गणित हो गया था।
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