भुवनेश्वरः उड़ीसा उच्च न्यायालय ने स्कूल में 300 बार उठक-बैठक के दौरान एक छात्र की मौत के मामले में आरोपित शिक्षक को राहत प्रदान की है। अदालत ने शिक्षक पर आपराधिक कार्रवाई रद करते हुए पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने दोहराया कि अनुशासनात्मक उपाय के रूप में एक छात्र की 'शारीरिक दंड' किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 82 के तहत अपराध नहीं हो सकती है। न्यायमूर्ति सिबो शंकर मिश्रा की एकल पीठ ने बच्चे की मौत पर माता-पिता के दुख को स्वीकार किया और शिक्षक को मृतक के परिवार को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
23 अक्टूबर 2019 को टीचर ने कथित तौर पर छात्र को 300 उठक-बैठक करने का आदेश दिया। इसके कुछ देर बाद छात्र ने दर्द महसूस होने की शिकायत की। इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में इलाज के दौरान 2 नवंबर 2019 को उसकी मौत हो गई।
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