उप्र फार्मेसी काउंसिल बेरोजगार फार्मासिस्टों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। पंजीकरण व नवीनीकरण के नाम पर बेरोजगारों को दौड़ाया जा रहा है। आवेदन के पांच से छह माह बाद भी कांउसिल में फार्मासिस्टों का पंजीकरण नहीं हो रहा है। प्रशिक्षित फार्मासिस्ट न तो मेडिकल स्टोर खोल पा रहे हैं न ही सरकारी मेडिकल संस्थानों में आवेदन कर पा रहे।
राजधानी में लेखराज भवन में उप्र फार्मेसी काउंसिल का कार्यालय है। इसमें प्रदेश भर के डिप्लोमा व डिग्रीधारी फार्मासिस्टों का पंजीकरण होता है। बिना पंजीकरण फार्मासिस्ट मेडिकल स्टोर नहीं खोल सकते हैं। सरकारी व प्राइवेट संस्थानों की भर्ती में आवेदन भी नहीं कर सकते हैं। जबकि प्रदेश के कई मेडिकल संस्थानों में फार्मासिस्टों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए हैं। पंजीकरण के आधार पर फार्मासिस्टों की वरिष्ठता भी तय होती है। जो स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में भर्ती के लिए अहम है।
काउंसिल का नहीं हुआ गठन
काउंसिल के पूर्व कुलसचिव शिवाजी गुप्ता ने 27 फरवरी को स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन से लिखित शिकायत की। वहीं दूसरी तरफ काउंसिल के संचालन के लिए पांच सदस्यों का चयन हुआ लेकिन काउंसिल का गठन तक नहीं हुआ। इस संबंध में निदेशक पैरामेडिकल डॉ. रंजना खरे से बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
पंजीकरण व रिनुअल का काम अधिक है। इसलिए काम में विलंब हो रहा है। काम जल्द से जल्द करने के निर्देश निदेशक पैरामेडिकल डॉ. रंजना खरे को दिए जा चुके हैं। जल्द ही पूरे मामले को दिखवाया जाएगा। डॉ. रतन पाल सिंह सुमन, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं
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