नई दिल्ली, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन और त्रिभाषा फॉर्मूले पर जारी विवाद के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री प्रधान ने स्टालिन पर 'राजनीतिक एजेंडे के तहत प्रगतिशील सुधारों को खतरे में डालने' का आरोप लगाया है।
धर्मेद्र प्रधान ने स्टालिन को लिखे पत्र में कहा है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर छात्र हितों के बारे में सोचना चाहिए। मालूम हो कि एक दिन पहले स्टालिन ने मोदी को इस बाबत पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र प्रायोजित दो पहलों समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से जोड़ना मौलिक रूप से अस्वीकार्य है। उन्होंने फंडिंग रोकने का आरोप भी केंद्र पर लगाते हुए इससे शैक्षणिक गतिविधियों और वेतन आदि पर असर की संभावना जताई थी। शिक्षा मंत्री ने स्टालिन के पत्र का जवाब देते हुए लिखा है कि किसी भाषा को थोपा नहीं जा रहा है।
शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित : प्रधान ने कहा, प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र केंद्र द्वारा अपनाई जा रही सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा कि राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है।
भारतीय भाषाओं में कभी कोई दुश्मनी नहीं रही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाषा के आधार पर भेदभाव के प्रयासों पर करारा प्रहार करते हुए शुक्रवार को कहा कि भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही। सभी भाषाओं ने एक-दूसरे को समृद्ध किया है। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने दोहराया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पूरे देश में तीन भाषा फॉर्मूला थोपने का एक प्रयास है।
'तमिलनाडु दो-भाषा नीति का पालन करेगा'
चेन्नई, एजेंसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से संबंधित विवाद के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर हमला करने को लेकर उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि राज्य केवल दो-भाषा नीति का पालन करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य केंद्र से केवल अपने द्वारा दिए गए करों में से अपना उचित हिस्सा मांग रहा है।
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