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शासनादेश में उलझा रहा पत्राचार संस्थान ठग ने सोसाइटी पंजीकरण कर बांटे अंकपत्र

प्रयागराज। राज्य मुक्त विद्यालय परिषद के संचालन के लिए 16 वर्ष पहले शासनादेश जारी हुआ कि सोसाइटी पंजीकरण करवाकर काम शुरू करें। पत्राचार शिक्षा संस्थान उसका विरोध करते हुए इसे रद्द करवाने के लिए प्रयासरत रहा। वहीं, ठग ने सोसाइटी पंजीकरण करवाकर अंकपत्र बांटने का धंधा शुरू कर दिया। अब पुलिस आरोपी ठग राजमन गौड़ को ढूंढ रही है।


पत्राचार शिक्षा संस्थान का गठन 1980 में हुआ था। यह संस्था यूपी बोर्ड के अधीन चल रही है। इसमें बच्चों का 11वीं और 12वीं में पंजीकरण होता है। बोर्ड के नियमों के अनुसार, इसमें पंजीकरण और परीक्षाएं होती हैं। अंकपत्र भी यूपी बोर्ड ही देता है। दो दशक से पहले इसे मुक्त विद्यालय परिषद बनाने की योजना बनी।

29 अगस्त 2008 को इसका अधिनियम पारित हो गया। अधिनियम पारित होने के बाद इसके संचालन के लिए जो आदेश आया, वही अड़ंगा बन गया। उसमें लिखा था परिषद संचालन के लिए सोसाइटी पंजीकरण कराएं। संस्थान के अफसरों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अधिनियम पारित होने के बाद सोसाइटी पंजीकरण की जरूरत नहीं है, यह आदेश गलत है।

यूपी बोर्ड की तरह इसे भी सरकारी संस्था बनाना चाहिए, इसलिए सोसाइटी पंजीकरण का आदेश रद किया जाए। शासन से वह आदेश रद्द नहीं किया तो परिषद का गठन ठप रहा। किसी अधिकारी की तैनाती भी नहीं हुई। उसकी वेबसाइट भी नहीं बन पाई। इसके प्रति उच्च अफसर उदासीन रहे।

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