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चार हजार परिषदीय शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़कर बचाई अपनी वरिष्ठता

● 68500 शिक्षक भर्ती में चयनित सहायक अध्यापकों का मामला
● 2022 के बजाए अब 2018 से होगी इनकी वरिष्ठता की गणना

प्रयागराज, 68500 शिक्षक भर्ती में चयनित लगभग चार हजार शिक्षकों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़कर अपनी चार साल की वरिष्ठता हासिल कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के वरिष्ठता बरकरार रखने के आदेश को सही माना है। इसके साथ ही वरिष्ठता का विवाद अब समाप्त हो गया है।

68500 शिक्षक भर्ती के तहत पहले बैच के अभ्यर्थियों ने पांच सितंबर 2018 को कार्यभार ग्रहण किया था। हालांकि लगभग चार हजार मेरिटोरियस रिजर्व कैटेगरी (एमआरसी) और अनारक्षित वर्ग के शिक्षकों को त्रुटिपूर्ण जिला आवंटित कर दिया गया था। इसके खिलाफ पीड़ित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं की थीं। हाईकोर्ट ने 29 अगस्त 2019 को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दोबारा जिला आवंटित करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद पहली सूची में 2908 और दूसरी सूची में 1024 कुल 3932 शिक्षकों को मनपसंद जिले में तैनाती दी गई। इन शिक्षकों ने 18 जुलाई 2022 को संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया। जिला बदलने के साथ ही अध्यापक सेवा नियमावली के अनुसार उनकी पूर्व में की गई चार साल की सेवा शून्य हो गई, क्योंकि सहायक अध्यापक का कैडर जिले का होता है। इस पर प्रभावित शिक्षकों ने प्रथम नियुक्ति तिथि यानी पांच सितंबर 2018 से वरिष्ठता देने के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं कर दीं। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अलग-अलग याचिकाओं में पुराने जिले की नियुक्ति तिथि से नए जिले में वरिष्ठता बहाल कर दी थी। इसके खिलाफ बेसिक शिक्षा विभाग ने डबल बेंच में स्पेशल अपील की जिसने सिंगल बेंच का फैसला बहाल रखा। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने डबल बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जो आठ जुलाई को खारिज हो गई।

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