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कैबिनेट की बैठक में छोटे प्रस्ताव नहीं रखे जाएंगे

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में अब छोटे-मोटे प्रस्तावों को नहीं रखा जाएगा। इतना ही नहीं कैबिनेट के प्रस्तावों में स्पष्ट बताना होगा कि इससे कितने लोगों को लाभ होगा और इस पर कितना खर्च आएगा।

नई नीति अगर लाई जा रही है तो इसके बारे में यह भी बताना होगा कि देश के अन्य राज्यों में क्या इस तरह की नीति है तो इससे लोगों को कितना फायदा हो रहा है। कैबिनेट प्रस्ताव में पूरी तरह स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही अब इसे मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

मनोज कुमार सिंह ने मुख्य सचिव बनने के बाद कैबिनेट प्रस्ताव को लेकर सभी विभागाध्यक्षों को महत्वपूर्ण सुझाव भेजे हैं और स्पष्ट निर्देश दिया है कि तय प्रारूप के आधार पर ही महत्वपूर्ण प्रस्तावों को कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके साथ ही कैबिनेट मंजूरी के लिए विभागों द्वारा भेजे गए अधिकतर प्रस्तावों को वापस भेजते हुए विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि नए प्रारूप के आधार पर इसे तैयार करते हुए भेजा जाए। मुख्य सचिव द्वारा विभागों को इस संबंध में भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नई नीतियों व नए कार्यक्रमों पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किया जाता है।

इस विषय पर पूर्व निर्देशों को संशोधित करते हुए मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली टिप्पणी नियामक विषयों को छोड़कर अन्य के लिए नए प्रारूप के आधार पर प्रस्ताव तैयार कराते हुए भेजा जाएगा।

कैबिनेट प्रस्ताव में कुल 10 बिंदुओं को शामिल किया जाएगा। विषय, प्रस्तावना, विषय व सेक्टर पर प्रदेश की अद्यतन स्थिति क्या है। अन्य राज्यों, देश और वैश्विक स्थिति क्या है। विषय व सेक्टर पर कही किए गए विशेष सफल प्रयास या प्रयोग व उसका निष्कर्ष भी दिया जाएगा। प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद उससे पड़ने वाले संभावित प्रभाव व जन उपयोग पर टिप्पणी भी दी जाएगी। इसके साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष व आने वाले वर्षों में खर्च की भी जानकारी दी जाएगी। इन सभी बिंदुओं को शामिल करते हुए प्रस्तावों को भविष्य में कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

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