👇Primary Ka Master Latest Updates👇

कंपोजिट ग्रांट: एक ज्वलंत समस्या

💥कंपोजिट ग्रांट: एक ज्वलंत समस्या💥

👉वर्तमान सत्र के खत्म होने में मात्र 2 माह शेष हैं और "कंपोजिट ग्रांट" का अभी तक कुछ अता पता नहीं है, कंपोजिट ग्रांट के समय से न मिलने से तमाम प्रकार की असुविधा और मानसिक तनाव से शिक्षक को दो चार होना पड़ता है, जैसे--
📌सत्र के अंत में तमाम प्रकार के अन्य कार्यों जैसे वार्षिक परीक्षा, विभिन्न प्रशिक्षण, स्वयं के आयकर से संबंधित कार्य आदि।
📌जब अंतिम समय में ग्रांट आती है तो शिक्षक समझ ही नहीं पाता है कि कौन से कार्यों में खर्च किया जाए और व्यय करने की बाध्यता के चक्कर में आनन फानन में बस कैसे भी खर्च हो जाए।
📌इतने कम समय में जब सारे ही विद्यालयों में एक साथ कार्य प्रारंभ होता है, तो स्थानीय स्तर पर अच्छा कार्य करने वाले लोग जैसे मिस्त्री, पेंटर, मजदूर आदि मिलने मुश्किल हो जाते हैं।
📌पीएफएमएस पोर्टल पर भी अचानक से बोझ पड़ने से दिक्कत आने लगती है, और शिक्षक दिन रात उसी में उलझा रहता है और जो शिक्षक साइबर कैफे से काम कराते हैं वो तो बस उन्हीं का चक्कर लगाते रहते हैं।
📌फरवरी, मार्च में बैंक में भी आपाधापा मची रहती है उनके खुद के विभिन्न कार्यों को लेकर, जिससे एक आम शिक्षक को वहां भी काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


अतः उपरोक्त बिंदुओं से स्पष्ट है कि यदि यही कंपोजिट ग्रांट सत्र के प्रारंभ में ही प्राप्त ही जाए तो प्रत्येक प्रoअo/प्रभारी प्रoअo निश्चिंत होकर सोच समझकर उचित कार्यों में खर्च करेगा और सारे काम आसानी से हो जायेंगे। क्योंकि जब काम दबाव के साथ आपाधापी में किए जाते हैं तो सही ढंग से करने में बहुत दिक्कत होती है क्योंकि बहुत से बाह्य कारक उसको प्रभावित करते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Politics news of India | Current politics news | Politics news from India | Trending politics news,