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कार्रवाई का डर, स्कूलों में निजी खर्च पर सफाई करा रहे शिक्षक, साल भर में सिर्फ चार या पांच दिन ही स्कूल पहुंचते हैं सफाई कर्मी

अमृत विचार : परिषदीय स्कूलों में सफाई नहीं होने से शिक्षक परेशान हो रहे हैं, क्योंकि निरीक्षण के दौरान गंदगी मिलने पर शिक्षक उन्हीं पर नाराजगी जताते हैं। कई बार तो अधिकारी वेतन तक रोक देते हैं। सफाई कर्मी साल में चार या पांच दिन ही सफाई करने आते हैं, ऐसे में शिक्षकों को अपने खर्चे पर सफाई करानी पड़ती है।

शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में साफ सफाई के लिए विभाग की ओर से किसी कर्मचारी की तैनाती नही की गई है। विभागीय अधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जिले के सभी 2482 स्कूलों में साफ सफाई शिक्षकों को ही करानी पड़ती है। इसके लिए प्रतिमाह शिक्षकों को करीब पांच हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

जिले के शत-प्रतिशत स्कूलों में नियमित सफाई होनी है। जिस क्षेत्र में सफाई 'कर्मी स्कूलों में नियमित सफाई नहीं कर रहे है उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की
जाएगी।
- जगप्रवेश, सीडीओ

कई विभागीय अधिकारी व्यवस्थाओं को जानते हुए भी सफाई के नाम पर उनका उत्पीड़न करते हैं। शिक्षकों के विरुद्ध वेतन रोकने तक की कार्रवाई की जाती है। इस तरह की कार्रवाई किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुकेश चौहान, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ

सीडीओ का आदेश भी नहीं मानते

पिछले महीने स्कूलों में सफाई न होने की गंभीर समस्या को देखते हुए सीडीओ जगप्रवेश ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट आदेश जारी किया था। इससे शिक्षकों को उम्मीद थी कि अब उन्हें सफाई के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। सीडीओ ने ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई के लिए डीपीआरओ को निर्देश दिए थे। वहीं शहरी क्षेत्र में बीएसए ने नगर निगम के अधिकारियों को पत्र भेज कर नियमित सफाई की व्यवस्था सुदृढ़ कराने की मांग की है।

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