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झिझक छोड़, 53 की उम्र में लिखना-पढ़ना सीखा

प्रयागराज, । आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है। व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्त्व को रेखांकित करने वाला यह दिन उनके लिए भी खास है जिन्होंने 15 साल से अधिक उम्र बीतने के बाद कलम पकड़कर क ख ग घ, एबीसीडी लिखना सीखा और अब खुद अपना नाम लिखते हैं।

ये नवसाक्षर बैंक की चेक बुक पर या स्कूल में पीटीम के बाद अब अंगूठा लगाने की बजाय पूरे आत्मविश्वास के साथ अपना नाम लिखते हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि जिले में 15 साल से अधिक आयु के 12860 लोगों ने एक साल में लिखना-पढ़ना सीखा है। इनकी साक्षरता परीक्षा जल्द आयोजित की जाएगी।

ब्लॉक स्तरीय मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण आज से

● इनकी साक्षरता परीक्षा बेसिक विभाग जल्द ही आयोजित कराएगा निरक्षरों को किया जाएगा जागरूक

कोरांव के टौंगाकला गांव के शिव नारायण ने 42 साल की उम्र में लिखना-पढ़ना सीखा है। इसी गांव के कामता प्रसाद (40 साल), मन्नो देवी (40 साल), रंगीले प्रसाद (35 साल) और छोटू (25 साल) को अब अक्षर ज्ञान हुआ है। इन्हें शब्द ज्ञान कराने वाले गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक अशोक द्विवेदी कहते हैं कि निरक्षर व्यक्तियों को पढ़ाने का लाभ यह भी है कि स्कूल में पढ़ने वाले अपने बच्चों के प्रति जिम्मेदारी बढ़ती है।

प्रतापपुर निवासी प्रेमा देवी ने 53 साल की उम्र में लिखना-पढ़ना सीखा है। वह अब अपना नाम भी लिख लेती हैं। अक्षरों को मिलाकर पढ़ना सीख लिया है और बैंक का काम जैसे रुपये भरना भी अपने से कर लेती हैं।

निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए चिन्हित स्वयं सेवी शिक्षकों (वीटी) को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए हर ब्लॉक से दो-दो मास्टर ट्रेनर को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में आठ व नौ सितंबर को सुबह नौ से शाम पांच बजे तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे पहले राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद लखनऊ में डायट दो डायट प्रवक्ताओं को 30 मई से पांच जून तक मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण दिया गया है।

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