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खेल-खेल में बच्चे बनेंगे भाषा के ‘खिलाड़ी’

राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में बच्चों के लिए शिक्षा को सुगम और रुचिकर बनाने के लिए नवाचारों पर जोर दिया गया है। खेल-खेल में बच्चे पढ़ाई करें और सीखें, यही अभीष्ट है। इसी को चरितार्थ कर रहे हैं कि हरियाणा में कैथल जिले के सरकारी विद्यालय में नियुक्त हिंदी अध्यापक डा. विजय चावला । कैथल के गांव ग्योंग के आरोही आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत डा. विजय चावला ने लंबे समय तक शोध कर खेल किट तैयार की है। किट पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों का हिंदी भाषा कौशल

कैथल में अध्यापक का नवोन्मेष, खेल किट बनाकर आसान किया भाषा ज्ञान

पाठ्यचर्या की रूपरेखा ने बुनियादी स्तर पर आधारित विषयवस्तु को भाषा के साथ जोड़ना न केवल संप्रेषण का माध्यम माना है, बल्कि यह जरूरत भी है। बच्चों को पुस्तकों की अपेक्षा खेलों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कराई जाए क्योंकि इससे बच्चे जल्दी व अच्छी तरह से सीखते हैं।

किट में है ये खेल और भाषा ज्ञान डा. चावला ने पंचकोषीय ज्ञान की अवधारणाओं को ध्यान में रखते हुए हिंदी भाषा खेल किट तैयार की है। इसमें अन्नमय कोष, आनंदमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष व विज्ञानमय कोष होंगे । इस किट में कई खेल भी शामिल हैं। इनमें फल एवं सब्जियों वाला लूडो, वन्य- 44

पांच ई-बुक बना चुके, तेलंगाना ने भी अपनाई तकनीक

सरकारी अध्यापक डा. विजय चावला अब तक हिंदी भाषा को रुचिकर बनाने के लिए पांच डिजिटल ई-बुक तैयार कर चुके हैं। हरियाणा के राज्य शैक्षणिक एवं अनुसंधान परिषद की वेबसाइट पर स्वीकृत होने के बाद शिक्षकों व बच्चों के लिए ये बुक अपलोड कर दी गई हैं। एक ई-बुक दीक्षा पोर्टल पर भी अपलोड की जा चुकी है। तेलंगाना ने भी डा. चावला के भाषा खेलों को अपने राज्य में लागू करने का निर्णय लिया है। शिक्षकों को भी हिंदी भाषा को खेल-खेल में रुचिकर बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

डिजिटल ई-बुक प्रोजेक्ट के साथ अध्यापक डा. विजय चावला • सौजन्य स्वयं


चावला ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- फाउंडेशनल स्टेज 2022 के अंतर्गत यह नवोन्मेष किया है। वह बुनियादी स्तर पर बच्चों

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