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नेत्रहीन शिक्षक के जुनून ने बदल दी स्कूल की तस्वीर, आंखों के बिना भी हर गतिविधि पर रखते हैं नजर

नेत्रहीन शिक्षक के जुनून ने बदल दी स्कूल की तस्वीर, आंखों के बिना भी हर गतिविधि पर रखते हैं नजर

जगबीर घणघस/भिवानी, भिवानी का यह अध्यापक आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बना हुआ है. जिन्होंने अपने स्कूल में शिक्षा, अनुशासन व साफ-सफाईको लेकर मिसाल क़ायम की है. सुनील नेत्रहीन होने के बावजूद सरकारी स्कूल में बतौर मुख्य अध्यापक कार्यरत हैं।

सुनील कुमार स्कूल को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. स्कूल में बेहतर साफ सफाई, बच्चों में अनुशासन और स्कूल के 100 फिसदी रिज़ल्ट से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. सुनील कुमार अक्सर अपने स्कूल में नंगे पैर घुमते हैं ताकि स्कूल में साफ-सफाई और दरारों का पता चल सके और उसे ठीक करवाया जा सके।

वकालत करना चाहते थे सुनील

सुनील कुमार का कहना है कि वो वकालत करना चाहते थे. लेकिन उनके पिता ने कहा कि तुम एक शिक्षक बनो. क्योंकि शिक्षक IAS, IPS से लेकर देश के लिए बच्चों को फौजी वैज्ञानिक तक बनाता है. जीवन में कठिनाई भी बहुत आई, पर हार मानने की बजाय हमेशा चुनौती समझ कर मुक़ाबला कर उनसे पार पाया।

सुनील कुमार का मानना है कि सरकारी स्कूल किसी भी मामले में निजी स्कूलों से पीछे नहीं है . बस पूरा स्टाफ लगन से अपनी ड्यूटी निभा।



बेटी को है पिता पर गर्व

स्कूल के अध्यापक सुरेंद्र यादव का कहना है कि आंखें ना होने पर भी सुनील कुमार स्कूल की हर व्यवस्था और गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. खुद भी बच्चों को बड़े अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं. वहीं बच्चों का भी कहना है कि इन्हें अपने स्कूल के मुख्य अध्यापक के पढ़ाने का तरीक़ा बहुत अच्छा लगता है।


खुद सुनील की बेटी का कहना है कि उन्हें अपने पिता पर गर्व है. क्योंकि वो हमेशा संघर्ष की राह अपनाते हैं और जीवन में नाम कमाने की प्रेरणा देते हैं।

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