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मौखिक आरोपों के आधार पर कार्यवाही करने का आरोप, प्रधानाध्यापक के निलंबन ने पकड़ा तूल

हमीरपुर, । कुरारा ब्लाक के एक परिषदीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक के विरुद्ध महिला अध्यापिका की शिकायत के बाद की गई निलंबन की कार्रवाई का मामला तूल पकड़ रहा है। गुरुवार को प्रधानाध्यापक के समर्थन में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ खड़ा हो गया। निलंबन को गलत बताते हुए प्रधानाध्यापक को बहाल करने की मांग की गई। प्रधानाध्यापक की अध्यापिका पत्नी ने चेतावनी दी कि यदि आवश्यकता पड़ी तो वह परिवार सहित आमरण अनशन को बाध्य हो जाएंगी।

बता दें कि पिछले दिनों कुरारा ब्लाक के एक परिषदीय विद्यालय की सहायक अध्यापिका ने इंचार्ज प्रधानाध्यापक अमित सिंह के विरुद्ध आपत्तिजनक आरोप लगाए थे। इन आरोपों के मद्देनजर बीएसए आलोक सिंह ने एक कमेटी गठित कर जांच कराई थी। जिसके बाद प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया था। अब यह मामला तूल पकड़ रहा है। गुरुवार को निलंबित प्रधानाध्यापक के पक्ष में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ खड़ा हो गया। कुरारा ब्लाक की महिला अध्यापिकाएं भी उनके पक्ष में बीएसए कार्यालय पहुंच गई।

बीएसए को संबोधित ज्ञापन में प्रधानाध्यापक को सिर्फ मौखिक आरोपों के आधार पर निलंबित करने पर नाराजगी जताते हुए बहाल करने की मांग की गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि कानपुर से अप डाउन करने वाली अध्यापिका प्रतिदिन देरी से विद्यालय पहुंचती हैं और प्रधानाध्यापक ने इसी बात को लेकर आपत्ति जताई थी। इतना ही नहीं मोहर्रम के अवकाश को शासन द्वारा निरस्त करने और विद्यालय खोलने का हवाला देते हुए कहा गया है कि विवाद उसी दिन से शुरू हुआ। प्रधानाध्यापक ने अध्यापिका को फोन करके विद्यालय आने को कहा तो वह झगड़े पर आमादा हो गई।

कुरारा ब्लाक में तैनात तमाम महिला अध्यापकों ने भी प्रधानाध्यापक पर लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत बताते हुए निलंबन समाप्त करने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में संघ के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह चंदेल, संरक्षक दिलीप सिंह गौतम, पुष्पेंद्र त्रिपाठी, रघुराज कुटार, लक्ष्मीशंकर, पंकज यादव, गौरव नामदेव, राजेश कुमार, तरंग खरे सहित तमाम अध्यापक-अध्यापिकाएं मौजूद रहे।

पत्नी ने दी आमरण अनशन की चेतावनी

निलंबित प्रधानाध्यापक की पत्नी वर्षा सिंह ने कहा कि उनके पति अक्सर बीमार रहते है। इस घटना के बाद से वह और भी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। उन पर गलत आरोप लगाए गए हैं। अगर निष्पक्ष जांच करके उन्हें बहाल नहीं किया जाता है तो आवश्यकता पड़ने पर वह परिवार के साथ आमरण अनशन करने को बाध्य होंगी।

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