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बेटे की घर से बेदखली का आदेश नहीं दिया जा सकता:- हाईकोर्ट

लखनऊ,। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत गठित अधिकरण माता-पिता की अर्जी पर संतानों को माता-पिता के निवास, भोजन और कपड़े के लिए उचित व्यवस्था का आदेश तो दे सकता है लेकिन माता-पिता की अर्जी पर संतानों को घर से निकालने का आदेश नहीं दे सकता है।

अदालत ने कहा कि अधिनियम 2007 की मंशा माता-पिता, वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण प्रदान करने और उनके कल्याण तक है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिविल प्रक्रिया के तहत निर्धारित होने वाले कानूनी अधिकारों को इस अधिनियम के तहत आदेश पारित कर नहीं तय किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने सुलतानपुर निवासी कृष्ण कुमार की ओर से दाखिल याचिका निस्तारित करते हुए दिया।


याची का कहना था कि अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर एक गैर जाति की लड़की से विवाह कर लिया, जिसके कारण वे नाराज हो गए और बहनों,उनके पतियों के कहने में आकर माता-पिता ने इस अधिनियम के तहत याची को घर से निकालने का अनुरोध किया। डीएम ने 22 नवंबर 2019 को याची को माता-पिता का घर, दुकान खाली करने का आदेश जारी कर दिया था।

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