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Old Pension Scheme को लेकर कर्मचारी लामबंद, चुनावी मुद्दा बनाने की जुगत

लखनऊ : सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन ही उनके बुढ़ापे का मजबूत सहारा होता है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह लागू की गई नई पेंशन योजना के विरोध में अब देश भर में आवाज बुलंद हो रही है।

National Movement for OPS अब पूरे देश में कर्मचारियों को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रहा है। पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ झारखंड के बाद अब हिमांचल प्रदेश में भी OPS लागू की जा रही है। ऐसे में इस साल कर्नाटक, हरियाणा व मध्य प्रदेश सहित नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को गर्माने की मजबूत तैयारी की जा रही है। यह आंदोलन उत्तर प्रदेश से ही शुरू हुआ। केंद्र ने एक जनवरी 2004 व यूपी ने एक अप्रैल 2005 के बाद भर्ती कर्मियों को नई पेंशन योजना का लाभ देने का निर्णय लिया था। National Movement for OPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु कहते हैं कि वर्ष 2013 में अटेवा पेंशन बचाओ मंच के बैनर तले यह अभियान शुरू हुआ था। देश भर में 80 लाख सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग कर रहे हैं। वह कहते हैं कि 20 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मियों को सेवानिवृत्त से पूर्व जो अंतिम वेतन मिलता है उस राशि की आधी पेंशन बनती है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई कर्मचारी 40 हजार रुपये वेतन पा रहा है तो 20 हजार रुपये महीना पेंशन पाएगा। अगर बीस से कम वर्ष की सेवा है तो पेंशन सेवाकाल की गणना के हिसाब से कम होती है, मगर कम से कम नौ हजार पेंशन प्रति माह जरूर मिलती है।

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