गोंडा जिले में 30 साल पहले की खेती पर गौर करें तो मोटे अनाज की धूम होती थी। खेतों में ज्वार और बाजार किसान जरूर बोते थे साथ, कोदो, काकुन, कुटनी, चना, कुट्ट और चौलाई की फसलें लोग उगाते थे, बाद में किसानों ने इसकी खेती से मुंह मोड़ लिया। किसानों को एक बार फिर मोटे अनाज की फसल उगाने के लिए प्रेरित किए जाने की तैयारी हो रही है। शासन ने नये साल से mid day meal और child nutritionist में coarse grains से बने खाद्य पदार्थ बांटने की व्यवस्था बनाई है।
इस पहल से माना जा रहा जहां बच्चों को पौष्टिक आहार मिलेंगे, वहीं किसानों की उपज की बिक्री आसानी से हो सकेगी। बिक्री के संकट से किसानों ने मोटे अनाज की खेती बंद कर दी थी। 2023 में international millets (मोटा अनाज) वर्ष मनाने के लिए तैयारियां हो रही हैं। मोटे अनाज की फसलों को बढ़ाने के लिए Road Show, Hoardings, Ball Potting 1 से लोगों को जागरूक करने और किसानों को सामान्य बीज एवं बीज की निःशुल्क मिनी किट वितरण होगा।
जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव कहते हैं कि इसके लिए कृषक उत्पादक संगठनों (FPO) के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिले में 41 एफपीओ है और 33 शक्ति पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। इनकी प्रशिक्षण देकर मोटे अनाजों का वर्गीकरण किया जाएगा (संवाद)
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