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Children's Commission का फरमान,मदरसों से गैर मुस्लिम बच्चों को निकालें

लखनऊ। National Commission for Protection of Child Rights ने फरमान जारी किया है कि देश भर के अनुदानित व मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम छात्र-छात्राओं को चिन्हित किया जाए और उन्हें वहां से निकाल कर आरटीई के तहत सामान्य शिक्षण संस्थानों में दाखिल करवा कर उनके पठन-पाठन की व्यवस्था करवाई जाए।

आयोग की चेयरमैन प्रियंका कानूनगो की ओर से बीती 8 दिसम्बर को सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को इस बारे में पत्र भेजा गया है। इस पत्र के मुताबिक मदरसा एक ऐसा शिक्षण संस्था है जहां religious education दी जाती है। आयोग को विभिन्न स्रोतों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि ऐसे मदरसे जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त व अनुदानित हैं, वहां गैर मुस्लिम छात्र-छात्राओं को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा का पठन-पाठन की व्यवस्था होती है और मदरसों के छात्र-छात्राओं को सरकारी वजीफा भी मिलता है।

आयोग के अनुसार यह व्यवस्था संविधान के Article 28 (3) का खुला उल्लंघन है। आयोग ने सभी प्रदेशों को निर्देश दिये हैं कि ऐसे अनुदानित व मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करवाई जाए जहां गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। बच्चों का भौतिक सत्यापन हो और इन बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत अन्य सामान्य शिक्षण संस्थानों में दाखिल करवा कर उनके पढ़ने की उचित व्यवस्था करवाई जाए। इसके अलावा गैर चिन्हित या गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच करवाई जाए और वहां भी गैर मुस्लिम बच्चों को चिन्हित कर अन्य सामान्य शिक्षण संस्थानों उनके पठन-पाठन की व्यवस्था करवाई जाए।

Child protection commission के पत्र से पैदा हुआ नया विवाद

Madrasa Education Council के चेयरमैन डा. इफ्तेखार जावेद ने कहा है कि अभी उनके संज्ञान में यह विषय नहीं आया है और न ही उन्हें आयोग का ऐसा कोई पत्र ही मिला है लेकिन अगर आयोग ने ऐसा कोई आदेश जारी किया है तो यह उचित नहीं है बल्कि शिक्षा के मामले में धार्मिक भेदभाव पैदा करने वाला आदेश है।

मदरसा शिक्षकों के संगठन All India Madaris-e-Arabia के महासचिव वहीदुल्लाह खान का कहना है कि यह नफरत बढ़ाने वाला कदम है। इस बारे में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सभी को विरोध पत्र भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सुदूरवर्ती गांव कस्बों में जहां स्तरीय स्कूल-कालेज नहीं हैं वहां मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चे भी पढ़ते हैं चूंकि इन मदरसों की फीस बहुत कम होती है या फिर फीस नहीं भी ली जाती है।

क्या है निहितार्थ

Madaris-e-Arabia के महासचिव वहीदुल्लाह खान के अनुसार आयोग के इस पत्र का निहितार्थ मेरी समझ से तो यही है कि मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों को islamic religious education देकर उनका धर्मांतरण करवाया जाता है। वास्वतिकता यह है कि मदरसों में कक्षा एक से आठ तक कोई religious education नहीं दी जाती है। उर्दू भी एक ऐच्छिक विषय के तौर पर ही पढ़ाया जाता है।

संस्कृत विद्यालयों में तो पूरी तरह धार्मिक शिक्षा दी जाती है। वहां शुरुआत से ही वेद, पुराण पढ़ाए जाते हैं यहां तक प्रार्थना भी हिन्दू धर्म की वंदना ही होती है।

-वहीदुल्लाह खान, राष्ट्रीय महासचिव, आल इण्डिया टीचर्स एसो., मदारिस-ए-अरबिया

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