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सभी जिलों में यूपी बोर्ड की किताबों के लिए हाहाकार

प्रकाशक किताबें उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। एनसीआरटी की किताबों के दाम कम होने से बचत न के बराबर है।

प्रदीप कुमार अग्रवाल, व्यापार सदन

इन किताबों पर एक फीसदी की बचत है। किताबों को लाने व दूसरे जिलों में भेजने में कोई बचत नहीं होती है। नुकसान हो रहा है। जितिन्द्र सिंह चौहान, अध्यक्ष, उप्र. स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसो.

लखनऊ। यूपी बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। यह स्थिति तब है जबकि किताबों की आपूर्ति के लिए तीन-तीन प्रकाशक उपलब्ध हैं। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि, किताबों में मार्जिन कम होने के नाते पुस्तक विक्रेता बेचने से परहेज कर रहे हैं। यह स्थिति पूरे प्रदेश में बनी हुई हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के संचालित उच्चतर माध्यमिक तथा इंटर कॉलेजों में एनसीईआरटीई की किताबों से पढ़ाई होती है। इन किताबों की छपाई की जिम्मेदारी कैला जी बुक्स आगरा, पीताम्बरा बुक्स झांसी और डायनामिक टेक्स्ट बुक्स झांसी को सौंपी गई है। इन्हीं तीनों को किताबें बाजारों में आपूर्ति करनी थी। कुल 34 विषयों की 67 किताबों के लिए मची मारामारी के कारणों की जब हिन्दुस्तान ने पड़ताल में पता चला कि सबसे ज्यादा संकट इंटरमीडिएट भौतिक विज्ञान, रसायन, विज्ञान तथा जीव विज्ञान (बॉयोलॉजी) की किताबों का है। यह किताबें बाजार में नहीं है। पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि प्रकाशक ही किताबें मुहैया नहीं करा रहे हैं। हाईस्कूल की अंग्रेजी, गणित, हिन्दी और विज्ञान की भी किताबें कम पड़ गईं हैं। किताबों की कमी को देखते हुए डीआईओएस ने लखनऊ के जुबिली इंटर कॉलेज में प्रकाशकों के 5 दिन स्टॉल लगवाए। वहां भी एक दिन तो सभी किताबें मिली लेकिन बाद में किताबें कम पड़ गईं।

राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज में प्रकाशकों का स्टॉल लगाया था। कुछ विषयों की किताबों की कमी थी। अन्य स्कूलों में लगवाने की बात चल रही है ताकि पुस्तकें मुहैया हो सकें। – राकेश पाण्डेय, डीआईओएस

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