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प्राइवेट स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति की समीक्षा हर साल करे सरकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मुफ्त शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की प्रति वर्ष समीक्षा करने का आदेश दिया है। अभी ऐसे प्राइवेट स्कूलों को साल 2013 में नियत प्रति छात्र के हिसाब से 450 रुपये प्रति माह ही दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि हर कैलेंडर साल के 30 सितंबर को सरकारी व स्थानीय निकायों द्वारा संचालित विद्यालयों के कुल छात्र अनुपात को उन पर प्रति वर्ष किए जाने वाले सरकारी खर्चे से विभाजित करके आने वाली राशि को ध्यान में रखकर प्रतिपर्ति तय की जाए।

एसएल वैश्य का तर्क था कि सरकार ने अधिनियम व इसके तहत 2011 में बने नियमों के तहत 20 जून 2013 को प्रतिपूर्ति नियत की थी और अभी वही चली आ रही है जबकि यह किसी से छिपा नहीं है कि तब से हर चीज की कीमतें कितनी अधिक बढ़ गयी है। कहा गया कि 2013 में नियत 450 रुपये प्रति छात्र प्रतिपूर्ति उचित नहीं है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को प्रति साल प्रतिपूर्ति की समीक्षा करनी चाहिए।

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