primary ka master: For the last 38 years, teachers have not been appointed in the basic schools of the city.
गोंडा शहर के गरीब छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। 38 सालों से बेसिक शिक्षा ने शहरी स्कूलों में नई तैनाती रोक रखी है। नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं हो पाई। बीते सात सालों में जिले में विभिन्न शिक्षक भर्तियों से सात हजार से अधिक नए शिक्षकों को नियुक्ति मिल चुकी है। शासन के एक फैसले से इतनी बड़ी भर्तियों के बाद भी नगर के स्कूलों को एक भी शिक्षक नहीं मिल सके। स्थिति यह है कि नगर क्षेत्र के 47 स्कूलों के लिए सिर्फ 24 शिक्षक हैं। इसके अलावा 21 शिक्षामित्र और छह अनुदेशक ही हैं। शिक्षकों की कमी को देखते हुए जूनियर हाईस्कूल के परिसर में चल रही प्राथमिक स्कूलों को एक साथ शामिल कर कंपोजिट स्कूल का दर्जा दे दिया गया। इसके बाद 28 स्कूल बचे, फिर भी हर स्कूल को सरकारी शिक्षक नहीं मिल सके है
बेसिक शिक्षा ने 1982 में नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों का कैडर अलग कर दिया। इसके बाद भर्तियों से शहरी स्कूलों में शिक्षकों को नियुक्ति ही नहीं हुई। विभाग की एक नीति से 38 सालों से शहरी क्षेत्र के बेसिक शिक्षा स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई। 1982 के बाद शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों का कैडर तय होने से नियुक्तियों के न होने से शहर के सरकारी स्कूलों की दशा बिगड़ती रही। लोग रिटायर हुए लेकिन नई नियुक्ति नहीं हुई। विभाग के अधिकारियों की मानें तो वर्ष 1994 में शहर के सरकारी स्कूलों को सिर्फ पांच उर्दू शिक्षक ही मिले थे मुतक आश्रित से 10 नए शिक्षकों को नियुक्ति हुई, लेकिन इससे शिक्षकों को कमी दूर नहीं हुई। एक बार वर्ष 2012-13 में नगर क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए शिक्षकों से आवेदन तो मांगे गए, लेकिन फिर रोक लग गई है।
न शिक्षक मिल रहे और न सुधर सके भवन (Neither teachers are available nor can the building be improved)
नगर क्षेत्र के परिषदीय स्कूलों में न तो शिक्षक ही मिल रहे है और न ही भवनों का हो उद्धार हो सका है। गोंडा शहर के साथ ही करनैलगंज व नवाबगंज में 47 परिषदीय स्कूलों में 36 प्राइमरी और 11 जूनियर हाईस्कूल है। इनके भवन में कुछ के भवन जर्जर हो चुके हैं। नगर क्षेत्र के 36 प्रामरी स्कूलों में 4271 छात्र और 11 जूनियर हाईस्कूलों में 722 छात्र पंजीकृत हैं 36 प्राइमरी स्कूल के सापेध 19 शिक्षक हैं और 11 जूनियर हाईस्कूलों के सापेक्ष पांच शिक्षक हैं। अब स्कूलों को एक साथ करके कंपोजिट बनाया गया है। लेकिन फिर भी शिक्षकों की कमी है।
शिक्षक ही नहीं तो कैसे हो पढ़ाई (If you are not a teacher then how can you study?)
जिले के तीन नगर क्षेत्रों गोडा कहर, करनैलगंज व नवाबगंज में 47 परिषदीय स्कूल है और सिर्फ 24 शिक्षक ही है। इससे करीब 18 स्कूल शिक्षक विहीन है। इन 18 सरकारी स्कूलों में 12 स्कूल जा रहा है। वहीं पांच जूनियर हाईस्कूलों को प्राइमरी स्कूल के शिक्षक एक ही
परिसर में होने से संचालित कर रहे हैं। लेकिन शिक्षक न होने से पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है। शहरी स्कूलों को ऐसी स्थिति की तरफ न तो कभी जिले के अधिकारियों का ध्यान गया और न ही सरकार के स्तर से ही कोई प्रयास हुआ। 38 सालों से शिक्षकों की नियुक्ति न हो पाने से शहर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित है।
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