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स्कूलों में एक लाख बच्चों को नहीं मिलता मिड-डे मील

गोंडा। बेसिक शिक्षा में बच्चों को दोपहर में भोजन देने के लिए बड़े स्तर पर योजना चल रही है। इसके बावजूद एक लाख से अधिक बच्चों को एमडीएम नहीं मिलता है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो स्कूलों में 60 से 70 फीसदी ही बच्चों को भोजन मिल पाता है, कारण सभी बच्चे स्कूल नही आते हैं। गांवों में पूरी उपस्थिति सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। कई स्कूलों में राशन न मिलने से भोजन नहीं बन रहा है। ऐसा तब है जब विभाग का दावा है कि कोटेदारों के पास पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध है। राशन न देने का मतलब कहीं न कहीं कोटेदार की मनमानी है। कुछ स्कूलों में स्थिति यह है कि अक्सर चावल-दाल ही बच्चों को दिया जा रहा है। कहीं- कहीं खिचड़ी ही बनता है। अमर उजाला की ओर से स्कूलों की पड़ताल हुई तो पता चला कि नामांकन के सापेक्ष सभी बच्चों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।
कोरोना संकट के समय स्कूलों में पढ़ाई बंद रही। उस दौरान का कर्नवजन कास्ट व राशन सीधे बच्चों के अभिभावकों को सीधे दिया गया। इसके बाद पहले जूनियर हाईस्कूल और फिर प्राइमरी स्कूलों को दो चरणों में खोला गया। बच्चों की पढ़ाई परिषदीय स्कूलों में अब पूरी तरह शुरू हो गई और एमडीएम पर विशेष जोर प्रशासन का है। इसी दौरान एमडीएम में मनमानी भी शुरू हो गई है। कई कोटेदार हैं जो राशन देने में ही आनाकानी करते हैं।

प्रधानाध्यापकों को उनके पास बार- बार जाना पड़ता है और वह लोग राशन न मिलने की बात कह रहे हैं। विभाग की मानें तो राशन की कोई कमी नही है। जिलाधिकारी ने बीते दिनों दिसंबर माह तक के राशन देने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि अभी भी कोटे की दुकानों के पास राशन की पर्याप्त उपलब्धता है। इसके अलावा एक लाख से अधिक बच्चों को एमडीएम उनके स्कूल न आने की वजह से नही मिल पा रहा है। शिक्षकों की मानें तो पहले तो उपस्थिति काफी बेहतर है, लेकिन अक्सर कुछ बच्चे नियमित नही आ पाते हैं। इसके लिए प्रयास हो रहा है।

रसोई में लगा रहा ताला, भूखे ही रहे बच्चे

बेलसर (गोंडा)। सरकार भले ही स्कूलों की सेहत ठीक करने के लिए एड़ी चोटी से जोर लगा रही है। फिर भी आपसी तालमेल न मिल पाने से सरकारी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। गुरुवार को अमर उजाला की पड़ताल में बेलसर के स्कूलों को हकीकत सामने आ गई। बेलसर के कंपोजित विद्यालय पूरे दयाल में राशन न होने से विद्यालय के रसोई घर में ताला लगा है। बच्चों को दोपहर भोजन मिलना बंद हो गया। यहां के उच्च प्राथमिक विद्यालय में 345 छात्र पंजीकृत है। पंजीकृत छात्रों के सापेक्ष 78 बच्चे उपस्थित रहे। वहीं प्राथमिक में 183 के सापेक्ष 102 छात्र उपस्थित रहे। प्रधानाध्यापक तसनीम बानो ने बताया की राशन न मिलने से मध्यान्ह भोजन बंद हो गया है। बच्चो को फल दिया गया है। बताया रसोइया की तैनाती है लेकिन राशन न होने से वापस चली जाती है। खंड शिक्षा अधिकारी बेलसर अजय कुमार तिवारी ने बताया की खाना न बनाए जाने की सूचना हमारे पास नही है। प्राथमिक विद्यालय हर्षापुर में बच्चों को भोजन तो मिला, लेकिन शिक्षकों कमी से पढ़ाई प्रभावित है।

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