रामपुर। एक ओर तो स्कूलों में शिक्षकों का टोटा होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं दूसरी ओर शिक्षक नियुक्ति के बावजूद बच्चों को पढ़ाने से वंचित हैं। ये हालात हैं बेसिक शिक्षा विभाग के, जहां 69 हजार भर्ती के तीसरे चरण में मंडल के 444 सहायक अध्यापकों को भर्ती किया गया था। विभाग उनको 60 दिन यानी दो माह बाद भी स्कूल आवंटित नहीं कर सका है। शिक्षक स्कूल पाने को रोजाना ही बीएसए दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। हालांकि शिक्षा विभाग उनसे बेसिक शिक्षाधिकारी (Basic Shiksha News) कार्यालय में हस्ताक्षर कराकर नौकरी करा रहा है, लेकिन उनका मूल कार्य शिक्षण नहीं कराया जा रहा है। इसपर विभाग प्रतिमाह लाखों रुपये का व्यय भी कर रहा है।
एक तरफ तो परिषदीय स्कूलों (Primary ka master) में शिक्षकों का टोटा है। वहीं, दो माह से शिक्षक स्कूल आवंटित न होने से बीएसए कार्यालय में हाजिरी लगाकर नौकरी कर रहे हैं। प्रदेश भर के परिषदीय स्कूलों (Primary ka master) मेें शिक्षकों के टोटे से निपटने के लिए अक्तूबर 2020 में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती शुरू थी। इस भर्ती प्रक्रिया के दो चरणों में नौकरी पाने वाले शिक्षकों को तो स्कूल आवंटित कर दिए गए। 30 जून को तीसरे चरण की भर्ती के लिए हुई काउंसलिंग में मंडलभर में 444 सहायक अध्यापकों को नौकरी मिल गई। जिन्हें प्रत्येक जिले में 24 जुलाई को समारोह आयोजित कर जनप्रतिनिधियों और आला अफसरों ने नियुक्ति पत्र बंटवा दिए गए। लेकिन, नियुक्ति पत्र मिलने के करीब दो माह बाद भी इन सहायक अध्यापकों को स्कूल आवंटित नहीं किए गए हैं। जिससे ये शिक्षक बीएसए (Basic Shiksha News) कार्यालयों में उपस्थित दर्ज करा रहे हैं। शिक्षकों के खाली रहने से जहां बच्चों को शिक्षा ग्रहण नहीं कराई जा रही है वहीं, विभाग को प्रतिमाह करोड़ों का चूना लग रहा है।
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