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प्राचार्य भर्ती में अनियमितता का आरोप, आयोग ने नकारा

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से निकाली गई अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कालेजों की प्राचार्य पद की भर्ती में अनियमितता का आरोप लगा है। भर्ती में पांच अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन करने की बात कही जा रही है। आरोप है कि इसमें कुछ ऐसे हैं जिन्हें पहले अयोग्य घोषित किया गया था, लेकिन बाद में भर्ती में शामिल कर लिया गया। वहीं, कुछ अभ्यर्थियों के शोध कार्य न करने, अनुभव में कमी, पीएचडी गाइड बाद में बनने का मामला प्रकाश में आया है। आयोग ने समस्त आरोपों का निराधार बताया है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने विज्ञापन संख्या-49 के तहत एडेड डिग्री कालेजों में प्राचार्यो की नियुक्ति के लिए भर्ती निकाली थी। अंतिम परिणाम 12 अगस्त को जारी हुआ। भर्ती के कुल 290 पदों के सापेक्ष 263 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। चयनितों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके बीच कुछ अभ्यर्थियों के निजी संस्थानों/विश्वविद्यालयों से बैकडेट में ‘को-गाइड’ का प्रमाणपत्र बनवाकर लगाने का आरोप लगा है। ये को-गाइड संबंधित संस्थानों से एप्रूव्ड नहीं है, उसके बावजूद उनका चयन कर लिया गया। नियमानुसार 15 वर्ष का अनुभव रखने वाले शिक्षक भर्ती के लिए पात्र थे, लेकिन कुछ कम अनुभव वाले अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। मामले में आयोग की सचिव डॉ. वंदना त्रिपाठी का कहना है कि प्राचार्य भर्ती से संबंधित नियमावली आठ अप्रैल 2019 को जारी की गई थी। उसमें पीएचडी के अलावा अन्य शोध को भी मान्यता दी गई थी।

रही बात प्रमाणपत्रों की तो उसकी संबंधित संस्थान व विश्वविद्यालयों से जांच कराई गई है। उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद चयन किया गया है। अगर किसी को किसी प्रकार की आपत्ति है तो वह साक्ष्य के साथ आयोग में लिखित शिकायत करें। उसके आधार पर जांच कराई जाएगी।

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