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बेसिक शिक्षा विभाग में हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना, शपथपत्रव साक्ष्य के बिना हो रही जूनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई

बेसिक शिक्षा परिषद में अधिकारियों की अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है कि खंड शिक्षा अधिकारी उच्च अधिकारियों के खिलाफ एक जुट होने लगे हैं। अधिकांश खंड शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि उनके खिलाफ बिना साक्ष्य और शपथपत्र को कोई भी शिकायत कर देता है तो मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों की ओर से सीधे कार्रवाई की जा रही है। जो कि नियमों के विरुद्ध है। यदि ऐसा ही चलता रहा है तो वह कामकाज छोड़कर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।



दरअसल हाईकोर्ट ने 2012 में एक सभी विभागों के लिए जारी आदेश में कहा था कि यदि कोई भी शिकायत कोई सीधे किसी अधिकारी के विभाग के उच्च अधिकारियों के पास दर्ज कराता है तो उसके साक्ष्य और शिकायतकर्ता का शपथपत्र होना अनिवार्य है। लेकिन बीते कुछ दिनों में प्रदेश के अलग-अलग जिलों के ब्लाकों में तैनात खंड शिक्षा अधिकारियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हैं। कुछ जगहों पर जांच भी जारी है। इसी को देखते हुए विद्यालय निरीक्षक संघ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि बिना साक्ष्यों के के आधार पर जांच का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन फिर भी बीईओ को परेशान किया जा रहा है।


बीईओ हमारे विभाग का एक मुख्य अंग, उनकी भूमिका अहम है, कोई भी कार्रवाई बिना साक्ष्य औरशपथपत्र के नहीं होनी चाहिए. लेकिन अगर कोई शिकायत मिलती है और उच्च अधिकारी जाच करता है फिर जाचमै कुछमिलता है तब कार्रवाईबनती है। -पीएन सिंह, मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक
आदेश की भी अवहेलना हुआ विद्यालय निरीक्षक संघ


20 नवंबर को 2020 को पीलीभीत के तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) धौखेलाल राणा को निलंबित किया गया। 10 अगस्त 2020 को हरदोई जिले में घूस लेने के आरोप में बीईओ |पनिगाता को निलंदित किया गया। 6 जनवरी 2020 को गोंडा में इटियाथोक ब्लाक के बीईओ ओम प्रकाशपाल को निलंबित किया गया। हाल ही में प्रतापगढ़ में तैनात रहे बीईओ सुशील कनौजिया पर पैसे लेने के आरोप निलंबित किया गया।


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इस संबंध में विद्यालय निरीक्षक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में बीते दिनों बैठक के दौरान बेसिक शिक्षा मंत्री को अवगत कराया गया था कि बिना शपथपत्र व तथ्य के बीईओ के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। जिसके बाद 6 मार्च 2020 को महानिदेशक बेसिक शिक्षा विजय किरण आनंद की और से आदेश जारी किया गया था कि कोई भी शिकायत यदि आती है तो उसके साथ साक्ष्यों और शपथपत्र का होना अनिवार्य है। यदि बिना सक्ष्य और शपथपत्र के कोई कार्रवाई की जाती है तो इसके लिए दोषी अधिकारी दंडित होंगे।लेकिन डीजी के आदेश को भी अनदेखा किया जा रहा है।

हम भष्टाचार के पक्ष में नहीं लेकिन कोई भी शिकायत यदि शपथपत्रय साक्ष्य के बिना की जाती है तो उसे निराधार माना जाना चाहिए। इससे पहले 2012 में इसको लेकर हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया था, बिना साक्ष्य के शिकायत का संज्ञान न लिया जाये, डीजी भी इसको लेकर आदेश दे चुके हैं उसके बाद भी मनमानी हो रही है।
-प्रमेन्द्र शुक्ला, बीईओ लखनऊ जोन 3 व अध्यक्ष विद्यालय निरीक्षक संघ

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