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बीएसए दफ्तर में नहीं महिला प्रसाधन, माह भर से बीएसए कार्यालय में उपस्थिति दर्ज करा रहे 69000 नवनियुक्त शिक्षक, महिलाओं को होती है खासी दिक्कत

सुल्तानपुर। 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नवनियुक्त 824 शिक्षक-शिक्षिकाएं बीएसए कार्यालय में प्रतिदिन हाजिरी दे रहे हैं। दूरदराज से आने वाली शिक्षिकाओं के लिए प्रसाधन की कोई व्यवस्था नहीं होने से उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

बेसिक शिक्षा विभाग इन दिनों विद्यालयों का कायाकल्प करने में जुटा है। स्कूलों में महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग प्रसाधन की व्यवस्था की जा रही है लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी का दफ्तर इन सुविधाओं से वंचित है। बीएसए दफ्तर के परिसर में एक टूटा-फूटा यूरिनल ही मौजूद है। महिलाओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्ति पत्र पाने वाली शिक्षिकाओं को प्रसाधन के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय आवंटन की बाट जोह रहे नवनियुक्त शिक्षक रोज बीएसए दफ्तर आकर हाजिरी दे रहे हैं। इनकी उपस्थिति लेने के लिए आठ शिक्षकों को लगाया गया है। अलग-अलग आठ काउंटर उपस्थिति लेने के लिए बनाए गए हैं। रोज करीब दो घंटे तक शिक्षकों को हस्ताक्षर करने में लग जाते हैं। परिसर में महिलाओं के लिए कोई प्रसाधन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में दूर-दराज से आने वाली शिक्षिकाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

भुगतान न होने पर लगा। दिया टॉयलेट में ताला
सितंबर 2020 में तत्कालीन डीएम सी. इंदुमती के निर्देश पर डीआईओएस कार्यालय में पीछे की तरफ प्रसाधन का निर्माण कराया गया था उसके निर्माण में खर्च हुई धनराशि का भुगतान फर्म को नहीं किया गया। इस पर एजेंसी ने प्रसाधन में ताला डाल दिया है।

नगर पालिका से मंगाया जाएगा सचल प्रसाधन
बीएसए -दीवान सिंह यादव का कहना है कि नवनियुक्त शिक्षिकाओं की समस्या को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका परिषद से सचल प्रसाधन की मांग की जाएगी। जिलाधिकारी के माध्यम से नगर के विद्यालयों में प्रसाधन बनवाने के लिए नगर पालिका को निर्देशित करने की मांग की जाएगी।


डीएम के निर्देश के बाद भी नहीं बना प्रसाधन
बीएसए कार्यालय में प्रसाधन की व्यवस्था करने के लिए पूर्व जिलाधिकारी सी. इंदुमती ने तत्कालीन बीएसए संतोष सक्सेना को निर्देश दिया था। बावजूद इसके कार्यालय परिसर में आज तक प्रसाधन की व्यवस्था नहीं हो सकी। इसका खामियाजा नवनियुक्त शिक्षिकाओं को भुगतना पड़ रहा है।

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